राष्ट्रकवि दिनकर

 


रामधारी सिंह दिनकर 

23rd September 1908 - जब तक मनुष्य में भावनाएं हैं

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best writings of Sri Dinkar ji.

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About Dinkar ji?



🖋️रश्मिरथी🖋️

🖋️कुरुक्षेत्र🖋️

🖋️परशुराम की प्रतीक्षा🖋️

🖋️व्याल विजय🖋️



लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,

नम होगी यह मिट्टी जरूर, आंसू के कण बरसाता चल।


 चांद और कवि🖋️

किसको नमन करूं मैं भारत🖋️

 सिंहासन खाली करो🖋️






जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं,

वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।





जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।

🖋️उर्वशी

🖋️हुंकार

🖋️रेणुका

🖋️शक्ति और क्षमा

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कलम आज उनकी जय बोल

जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल।


जो अगणित लघु दीप हमारे, तूफ़ानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन, मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल। कलम, आज उनकी जय बोल।


पीकर जिनकी लाल शिखाएं, उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल। कलम, आज उनकी जय बोल।


अंधा चकाचौंध का मारा, क्या जाने इतिहास बेचारा, साखी हैं उनकी महिमा के, सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल। कलम, आज उनकी जय बोल।


रामधारी सिंह 'दिनकर'




मरणोपरान्त जीने की है यदि चाह तुझे,

तो सुन, बतलाता हूँ मैं सीधी राह तुझे,

लिख ऐसी कोई चीज कि दुनिया डोल उठे,

या कर कुछ ऐसा काम,ज़माना बोल उठे।


 - दिनकर

दिनकर जी का दुर्लभ वीडियो।।





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