विजय मेरे किसी काम न आवै, शत्रु का बस रोधन हूं। माया, दंभ को जोड़ने वाला, मैं ही तो वो बंधन हूं। भय, क्रोध भड़काने वाला, मैं ही तो वो ईंधन हूं। यम कपाल पे बैठा है पर, मैं जीता हुआ सुयोधन हुं । काल, यम के इंतजार में है, मैं लगा अपने रास्ते हूं, सब खो कर भी जीत गया जो, मैं वो जीता हुआ सुयोधन हूं। ~ हिमांशु शेखर